शुक्रवार, 5 अगस्त 2016

ख्वाबों का जहाज़








ख्वाबों का जहाज़ 



मोड़ो तो सही 

कागज़ हौंसलों के 

बनाओ तो सही

जहाज़ ख़्वाबों के |


जूनून की हथेली पर 

जोश से रगड़ना 

तपिश सी लगेगी

चपटा करते रहना |


ज़ज़्बे की उँगलियों में,

नज़ाकत से थामना

'जा छू ले आसमान'

कहकर फूंक मारना |


उम्मीदों की हवा को

हिम्मत बहुत भाती है 

बाजुओं पर ऐतबार हो

मंज़िलें सिमट आती हैं

झुकाओ तो सही

बुलंदियां भी कई बार

बौनी हो जाती हैं |

गौरव शर्मा

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