ख्वाबों का जहाज़
मोड़ो तो सही
कागज़ हौंसलों के
बनाओ तो सही
जहाज़ ख़्वाबों के |
जूनून की हथेली पर
जोश से रगड़ना
तपिश सी लगेगी
चपटा करते रहना |
ज़ज़्बे की उँगलियों में,
नज़ाकत से थामना
'जा छू ले आसमान'
कहकर फूंक मारना |
उम्मीदों की हवा को
हिम्मत बहुत भाती है
बाजुओं पर ऐतबार हो
मंज़िलें सिमट आती हैं
झुकाओ तो सही
बुलंदियां भी कई बार
बौनी हो जाती हैं |
गौरव शर्मा
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