परवर्ट... यानि छिछोरा
सेंट स्टीफेन कॉलेज के सामने की सड़क रोज की तरह उस दिन भी सुनसान थी l नार्थ कैंपस का सबसे वीरान इलाका था ये जबकि देश के सबसे विलक्षण युवा पढ़ते होंगे यहाँ l
कॉलेज के गेट से पचास मीटर दूर बस स्टॉप पर सुजॉय अकेला खड़ा था l पिछले आधे घंटे में कॉलेज के मैन गेट से कई महँगी गाड़ियाँ और मोटर -साइकिल धड़धड़ाती हुई निकल गईं थीं l पर बस स्टॉप पर कोई नहीं आया l
वहाँ खड़े-खड़े काफी वक़्त निकल गया था l डीटीसी की बसें हमेशा से ही बड़ी मूड़ी रही हैं l
तभी कॉलेज के गेट से रौनक बहार आई l "शायद मेरे लम्बे इंतज़ार का इनाम है ये ," सुजॉय ने सोचा l खादी ग्रामोद्योग वाला कुर्ता और काली जीन्स l बुद्धिजीवियों वाला पहनावा l साथ में लोटो के स्पोर्ट्स शूज l मझली लम्बाई वाले खुले बाल जो दिल्ली की गर्मी से बेहाल निस्तेज कांधो पर पड़े थे l वो जब तक सुजॉय तक पहुंची, वो उसका सम्पूर्ण आकलन कर चुका था l मन ही मन चाह रहा था कि वो भी वहीँ आकर खडी हो जाए और फिर वो दोनों बस का इंतज़ार करें l
वो सीधा सुजॉय तक आ गई l वो खुश तो था पर सकपका गया था l
उसने अपना कुर्ता एक तरफ से ऊपर किया और जेब में हाथ डालकर सिगरेट की डब्बी निकाली l फिर सुजॉय की आँखों में देखकर बोली, "डू यू हैव ए लाइट ?"
सुजॉय भावशून्य सा उसे देखता रहा l पता नहीं अचम्भा था या मलाल l पहली बार किसी लड़की ने सिगरेट जलाने के लिए उससे माचिस माँगी थी l और उसके पास थी नहीं l
अपना आग्रह दोहराने के लिए उसके होंठ हिले ही थे कि सुजॉय ने 'सॉरी' बोल दिया l वो हल्का सा मुस्काई मानो लानत भेज रही हो और आगे बढ़ गई l सुजॉय का मन हुआ उसका पीछा करे पर उसने ठीक नहीं समझा l वो बस उसे दूर जाते हुए देखता रहा l उसे रास्ते में जो भी मिला उसने उनसे माचिस माँगी लेकिन उसकी सिगरेट की उम्र शायद बाकी थी l
दिन भर सिगरेट-सुंदरी सुजॉय के ख्यालों में आती-जाती रही l अगले दिन वो उस ही समय पर सेंट स्टेफेन के बस स्टैंड पर पहुँच गया था और माचिस भी खरीद कर जेब में रख ली थी l
लगभग उस ही समय पर वही लड़की कॉलेज के गेट से बहार आई l नीली ज़मीन पर सफ़ेद फूलों वाली फ्रॉक बमुश्किल घुटनों तक पहुँच रही थी l पर उसमे वो पिछले दिन से ज्यादा छरहरी लग रही थी l
बाल वैसे ही थे जैसे किसी बच्चे को डाँट-डपट कर बिठा दिया हो l वो सुजॉय के पास पहुँचती उससे पहले ही उसने माचिस निकाल कर इशारे से उसे दिखा दी l वो मुस्कुराई, "आई डोंट हैवे ए सिगरेट टुडे l " कहकर आगे बढ़ गई l
निराशा कुछ क्षणों में ही सुजॉय के उत्साह को लील गई l उसने खुद को कोसा , "माचिस के साथ दो सिगरेट भी खरीद लेता तो क्या चला जाता l "
अगले दिन क्लासिक रेगुलर की डब्बी और म्यूजिकल लाइटर के साथ सुजॉय मोर्चे पर तैनात था l उत्साह और उमंग दोनों उफन रहे थे l
वो कुछ मिनट जल्दी निकल आई थी l सुजॉय उसे देखते ही आगे आ गया और मुस्कुराने लगा l एक हाथ में सिगरेट की डब्बी और एक हाथ में लाइटर l
वो कुछ पंद्रह कदम दूर थी जब सुजॉय से रहा नहीं गया , " आज मैं दोनों लाया हूँ l "
वो गंभीर थी l "इवन आई हैव बोथ ... बट , इट सीम्स, यू आर ए परवर्ट l फ़क ऑफ और आई विल कॉल पुलिस l "
सुजॉय आगे बढ़ गया l परवर्ट... यानि छिछोरा l सही तो कहाँ उसने l
सुजॉय कई दिनों तक किसी लड़की को आँख उठाकर देख नहीं पाया l