आँखोंदेखी
#लॉक डाउन स्पेशल
गुप्ता जी ने सुबह से पहली बार शायद बालकनी से सड़क पर झाँका था l हमेशा की तरह सिर्फ नकली जॉकी वाले कच्छे में थे l तोंद देश की जनसंख्या से प्रतियोगिता करती थी उनकी l
दाढ़ी के मुरझाए बाल और भारी आँखें अंतर का हाल कह रही थी l पिछली रात गुप्ताइन ने तुरई की सब्जी बनाने से मना कर दिया था l
तनातनी हो गई थी l गुप्ता जी का ब्लड-प्रेशर तब से ही हाई था l बिना AC के सेठ जी को नींद भी नहीं आती थीl
12 बजे बिस्तर छोड़ा था l
सामने वाली दुकान का शटर गिराकर तीन लोग सड़क पर बैठे कोरोना पुराण सुना रहे थे l चौथी कुर्सी खाली थी l
गुप्ता जी ने लपक कर टी शर्ट गले में डाली और यूँ भागे जैसे महफिल के मुख्य अतिथि वो ही हों l
जीना उतरते उतरते टी शर्ट ने उनका समृद्धि-चिन्ह ढक लिया था l
वहाँ जाकर खड़े हुए कि लोग बैठने को कहेंगे l जब निमंत्रण ना मिला तो खुद ही बैठ गए l
"बड़े दिनों बाद दिखे... लॉक डाउन का ढंग से पालन कर रहे हो, " तिवारी जी ने गुटखा हथेली पर परोसते हुए कहा l
"BP हाई हो रिया है कई रोज़ से," गुप्ता जी ने रजनीगंधा से भरे मुँह से बतलाया l
फिर क्या था, बारी-बारी से ब्लड प्रेशर कम करने के नुस्खे आने लगे l
गुप्ता जी कुर्सी से खड़े होने को हुए तो मलिक साहब ने उठने ना दिया, "अम्मा, बैठो भी यार l"
"धनिया लेने उतरा था, चटनी बनेगी l वो इंतजार में बैठी है " गुप्ता जी गरियाये l
"आ जाएगा धनिया वाला, यहीं आएगा, " कोरोना एक्सपर्ट मलिक साहिब ने ऐसे बोला जैसे जिले के सब्जीवालों की एक -एक मूवमेंट की खबर रखते हों l
पाँच मिनट बाद गुप्ता जी को घर से हाज़िर होने का फरमान आ गया l
"पापा, मम्मी बुला रही हैँ "
गुप्ता जी बिना धनिया लिए ही भाग लिए l अभी तो रात का बी.पी. भी नार्मल ना हुआ था l तीन लोगों के ठहाकों से सड़क गूँज उठी l
गुप्ताजी की समृद्धि का बखान बड़ी खूबी से लिखा है आपने महाशय। लाॅकडाऊन का यह मामूली सा प्रसंग पढ़ते समय आंखों के सामने जिववंत उभर आया।
जवाब देंहटाएंबहुत आभार, राजीव
हटाएंआपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहती है l
लेखक के लिए पाठक ईश्वर समान होते हैँ
❤️❤️❤️❤️
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