शुक्रवार, 5 अगस्त 2016

हमरी भी हैं चारठो सीट- हमहू बनेगें परधानमंत्री






                 हमरी भी हैं चारठो सीट- हमहू  बनेगें परधानमंत्री



संविधान लिखने वाले तो संविधान लिख गए और किसी को भी राजनीतिक दल बनाने का अधिकार देकर चले गए। परिणामस्वरूप आए दिन कहीं न कहीं कोई  न कोई एक नया दल बनाकर देश की राजधानी को अपना घर बनाने का सपना संजो लेता है।
ऐसा ही चलता रहा तो सोचिए कुछ वर्षों बाद ईवीम कितनी बड़ी  होगी। चार लोग कंधों पर उठाकर लाँएगें ले जाँएगें। बटन दबाने के लिए उम्मीदवार को वैसे ही ढूंढना  पड़ेगा जैसे कोई परीक्षा में पास होने की कम उम्मीद रखने वाला विद्यार्थी परीक्षा परिणाम को खंगालता है।

चुनाव चिन्ह कुत्ता, बिल्ली,चमगादड़, नाक, कान, लोटा, सोटा और न जाने  क्या क्या होगें। भई कहाँ से आँएगें इत्ते सारे चिन्ह? मजबूरी न हो जाएगी। कुछ भी मिल जाए बस वाइए चिपका लेंवेंगें। कुत्ता चिन्ह होने से हम थोड़ी ही न कुत्ते हो जाएगें।फिर कुत्ता भी  तो वफादारी का पर्याय है। देश के प्रति हमारी वफादारी का प्रतीक होगा यह चिन्ह। याहिए धर लो।

राज्य में थोड़ा सा दबदबा बना नहीं फिर सीधा केंद्र को साधेगें। भईया राज्य की बागडोर पत्नी, बेटे, बेटी को सौंप हम देश की राजनीति में टांग अड़ाऐगें।
लोकसभा में चार सांसद आए नहीं हमारे कि चिपक लेंगे गठबंधन की सरकार में। अड़ंगा डालने का सर्टिफ़िकेट ऐसे ही तो मिलेगा। प्रधानमंत्री बनने का सपना पालते रहेंगे सही मौका आते ही लपक लेंगे।
अरे बहुत से ग्वाले,मास्टर, और बहनजियाँ ऐसा सपना पाले बैठे हैं। कई तो कब्र में पैर लटकाए भी एक दफा उस कुर्सी पर टिकने की हसरत रखते हैं।हमनने ही कूण से कुकर्म कर राखे हैं। चूँ न देखें सुपना?

केंद्र में कोई बहुमत पा भी जावे तो क्या हुआ? राज्य में तो हमरी भैंसिया  ही चरेगी। देखे नहीं कश्मीर में क्या हुआ।
अब भईया संविधान के इस अधिनियम में कोई संशोधन तो हम होने देगें नही नहीं।

प्रधानमंत्री बनने का इससे सस्ता, सुन्दर और टिकाऊ उपाय यही है भाई रे। हम सकूल में पढ़ने वाले छात्र थोड़ी ही हैं कि परिच्छा में तैंतीस प्रतिशत अंक न आए तो फेल हो जाएंगे। हमरी तो पाँच सौ तैतालीस में से चार ठो सीट भी आ जाएं तो हमरा सपना टूटेगा नहीं। और प्रधानमंत्री न भी  बन पाए तो कुछ तो झटक ही  लेंगे। गृहमंत्री, वित्त मंत्री या फिर कोई राज्य  मंत्री।

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