सत्यनारायण भगवान की कथा
अर्सा हो गया
मम्मी पापा व्रत लेते थे
सत्यनारायण भगवान की कथा का
हम भाई बहनों में से
किसी एक के लिए।
हम चार थे
सो कथा जल्दी-जल्दी होती थी।
कहानी हमें रट गई थी
कसार पर चार चम्मच चरणामृत
और कटे हुए केले का प्रसाद
बहुत भाता था।
फिर सब बदल गया
हम बड़े हो गए
अब घर में काम
हमारी मर्ज़ी से होते थे
अब घर में काम
हमारी मर्ज़ी से होते थे
हम मम्मी पापा जितने
आस्तिक भी नहीं हैं।
या शायद हमें अपने गृह
कभी भारी लगे ही नहीं ।
उन्हें तो शायद
मम्मी-पापा ने इतना शांत
कर दिया था कि
वह हम पर
कभी कुपित हुए ही नहीं
आज भी सत्यनारायण भगवान नहीं
बड़ी सी कढ़ाई में माँ भूनती थी
बस उस कसार की याद आ गई
आज मम्मी पापा की हमारे लिए
फिक्र की याद आ गई।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें