शुक्रवार, 27 अक्तूबर 2017

सत्यनारायण भगवान की कथा




सत्यनारायण भगवान की कथा



अर्सा हो गया

मम्मी पापा व्रत लेते थे
सत्यनारायण भगवान की कथा का
हम भाई बहनों में से
किसी एक के लिए।
हम चार थे
सो कथा जल्दी-जल्दी होती थी।
कहानी हमें रट गई थी
कसार पर चार चम्मच चरणामृत
और कटे हुए केले का प्रसाद 
बहुत भाता था।
फिर सब बदल गया
हम बड़े हो गए
अब घर में काम
हमारी मर्ज़ी से होते थे

हम मम्मी पापा जितने
आस्तिक भी नहीं हैं।
या शायद हमें अपने गृह 
कभी भारी लगे ही नहीं ।

उन्हें तो शायद
मम्मी-पापा ने इतना शांत 
कर दिया था कि
वह हम पर 
कभी कुपित हुए ही नहीं  
आज भी सत्यनारायण भगवान नहीं
बड़ी सी कढ़ाई में माँ  भूनती थी 
बस उस कसार की याद आ गई
आज मम्मी पापा की हमारे लिए
फिक्र की याद आ गई।

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