जीवन का अर्थ
अपना-अपना जीवन
हम सब को
सीधी पंक्तियों सा लगता है..
सीधी पंक्तियाँ
सभी के लिए अर्थरहित,
और एक चाह,
कि कोई तो हो,
जो देख सके
इनमें एक रचना
पूर्णतः अर्थपूर्ण ...
यही तलाश ही तो है
जीवन का सत्व
रिक्तता ही तो है
जीवन का अर्थ
क्षणों के साथ आतीं
मरतीं सासें
मोमबत्ती सा जलता
घुलता शरीर,
और एक मन...
हर पल कुछ तलाशता,
बेचैन, उत्सुक, हैरान...
ले चलता है जीवन को,
वक्रता की और,
और जब पूर्ण होता है व्रत
बीच में से रिक्त
तब मर जाता है जीवन...
कुछ नहीं है जीवन
बस शुन्य मात्र
और जो समझ लेता है यथार्थ
वो कहलाता है पागल....
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