गुरुवार, 16 अगस्त 2018

एक महान नेता का निधन





            एक महान नेता का निधन



बीती शाम एक महान राजनेता का निधन हो गया. राजकीय शोक और सरकारी छुट्टी घोषित हो गई.
टीवी चैनल उनकी महानता बांचकर टीआरपी का घमासान लड़ रहे थे.
लोगों ने देर तक टीवी देखा. अगले दिन छुट्टी जो थी. लोग टीवी आजकल कानों से देखते हैं, आखें तो व्हाट्सप्प और फेसबुक में उलझी होती हैं.
हम लेखक तो आधे अधूरे ही बने हैं अभी पर insomnia पूरी तरह हो चुका है. चाय की लत है. लूले लंगड़े विचार पालते रहते हैं, दार्शनिक जैसा जो दिखना होता है. छुट्टी थी पर हम साढ़े पाँच बजे ही बिस्तर छोड़ रसोई में घुस गए चाय बनाने को. सुबह की पहली चाय बालकनी पर खड़े होकर पीने का मज़ा ही कुछ और है. किसी को कहते सुना था की लोगों को observe करने से लिखने के लिए मसाला मिल जाता है .
सड़क शुक्रवार जैसी न थी. इत्मीनान हाथों में लेकर रीझ रही थी जैसे किसी भूखे को कोई अमीर सौ का नोट पकड़ा गया हो. शायद लोग सो रहे थे. छः बजे बगल के पंसारी वाले गुप्ता जी की दुकान का शटर घड़घड़ा के खुल गया.
दस मिनट बाद वहाँ मिस्टर जोसफ सिगरेट पीने आये और दुबे जी दूध लेने. चर्चा होने लगी. कान लगाकर लोगों की बातें सुनना भी तो लेखकों को भाता है.
"अरे, वो तो पहले ही मर गए थे, बस डिक्लेअर नहीं किया था. पंद्रह अगस्त थी न" दुबे जी बोले. जैसे सरकार सारी जानकारियाँ उनसे साझा करती हो.
"चलो, आज छुट्टी तो मिली." मिस्टर जोसफ ने सिगरेट का लम्बा काश भरते हुए कहा.
सामने से एक परिवार तैयार होकर बस स्टॉप की और जा रहा था.
"हाँ, देखो, लोग तो घूमने निकल पड़े," दुबे जी ने टिपण्णी की. मर्दों में भी छीटाकशीं के गुण होते ही हैं .
"छुट्टी हुई है की ज्यादा से ज्यादे लोग जाकर पुण्य-आत्मा को श्रद्धांजलि दें. लोग छुट्टी मना रहे है," गुप्ता जी चर्चा में कूद आये.
"या फिर टीवी पर देखें और उनके अच्छे काम याद करें," जोसफ ने राय दी जो बिलकुल उनकी सिगरेट के आखिरी कश की तरह औपचारिक थी. ने अंदर कुछ गया, न बाहर कुछ आया.
"उससे तो टीवी वालों की टीआरपी बढ़ेगी, किसी और को क्या मिलेगा? छुट्टी होनी ही नहीं चाहिए. महान नेताओं की मृत्यु पर काली पट्टी बांधकर काम किया जाना चाहिए. बल्कि एक घंटा एक्स्ट्रा काम करना चाहिए ."
दुबे जी कह ही रहे थे की सामने बालकनी से मिसेस दुबे चिल्लाईं, "बेसन भी ले आइयेगा. नाश्ते में पकौड़े बना लेंगें,"
दुबे जी सकपका गए. मुड़े और गुप्ता जी से बोले, "देना, गुप्ता जी, एक किलो बेसन,"