सोमवार, 2 जनवरी 2017

पिता


नए साल पर पहली पोस्ट पिता  को समर्पित ...
आशा है आप सभी इस से जुड़ पाएंगे 



                                   पिता 






मेरी हार मुझसे भी ज्यादा उसको तोड़ देती थी,
मेरी जीत की ख़ुशी उसकी आँखों से बहती थी |

दिनभर कठोर बना  वो अनुशासन सिखाता था,
सो जाता था जब मैं, सर पर हाथ फिराता था |

हिसाब न था, मेरी वजह से कितनी बार हारा था,
उसकी वजह से मैं हार जाऊं, उसे न गवारा था |

उसकी फटी कमीज पर पैबंद जुड़ते जाते थे,
मेरी फरमाइशों के खिलोने तब भी आते थे |

जाने कैसे जुटाता था त्योहारों के पकवान-पटाखे,
 घर के अंदर घुसता था वो चिंताएं सारी छुपाके |

शैतानियों से सर झुकेगा उसका, मैं भूल जाता था 
'मेरा बेटा मेरा गरूर है' वो कहते नहीं थकता था |

वो सबसे प्यारा दोस्त, मेरी ताकत मेरा जोश था,
उसका साया था जब तक, मुझे कहाँ कुछ होश था |







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पिता घर की चौखट पर सजी बंदनवार,
पिता खुशियों की चाभी,
पिता हर रोज़ त्यौहार |

पिता घर में रौशनी करते दिए का तेल,
पिता बेफिक्री, पिता हिम्मत,
पिता खुशहाली, पिता बहार |

पिता उड़ने के लिए अनंत आसमान,
पिता सपनों की ज़मीन, 
पिता दर-ओ-दीवार |


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